गुरुवार, 30 अगस्त 2012

सागरिका: पुनश्चर्या पाठ्यक्रम का चौदहवाँ दिन

सागरिका: पुनश्चर्या पाठ्यक्रम का चौदहवाँ दिन: 23/07/2012 की सुर्खियाँ · प्रसिद्ध उपन्यास 'मुझे चाँद चाहिए' के लेखक श्री सुरेंद्र वर्मा का नगर आगमन · 'साहित्य : फ...

सागरिका: पुनश्चर्या पाठ्यक्रम का पंद्रहवां दिन

सागरिका: पुनश्चर्या पाठ्यक्रम का पंद्रहवां दिन: 24/07/2012 की सुर्खियाँ · 'नाटक साहित्य और उसका फिल्मांकन' पर श्री सुरेंद्र वर्मा का व्याख्यान  पुनश्चर्या पाठ्यक्रम का पं...

रविवार, 26 अगस्त 2012

भगवत रावत के निधन पर... विष्णु खरे

                   भगवत रावत का जाना......

विष्णु खरे



      
हिंदी साहित्य जगत बरसों से वाकिफ था कि भगवत रावत गुर्दे की गंभीर बीमारी से जूझ रहे थे. उनका यह लंबा संघर्ष उनकी ऐहिक और सृजनात्मक जिजीविषा का प्रतीक था और कई युवतर,समवयस्क और वरिष्ठ लेखकों को एक सहारा, उम्मीद और प्रेरणा देता था.पिछले दिनों तो ऐसा लगने लगा था कि उन्होंने रोग और मृत्यु दोनों पर विजय प्राप्त कर ली है. लिखना तो उन्होंने कभी बंद नहीं किया, इधर वे लगातार भोपाल की सभाओं, संगोष्ठियों और काव्य-पाठों में किसी न किसी वरिष्ठ हैसियत से भाग ले रहे थे. उनसे अब उनकी तबीयत के बारे में पूछना चिन्तातिरेक लगने लगा था.

      
जो कई पत्र-पत्रिकाओं में और सार्वजनिक आयोजनों में प्रतिष्ठित कवि और एक हड़काऊ किन्तु स्नेहिल बुजुर्ग की तरह सक्रिय हो, उसकी मिजाजपुर्सी एक पाखण्ड ही हो सकती थी. कम से कम मैं निश्चिन्त था कि अभी कुछ वर्षों तक भगवत का कुछ बिगड़नेवाला नहीं है. इसलिए उनकी मृत्यु अब नितांत असामयिक और एक बड़ा सदमा लग रही है.

मंगलवार, 24 जुलाई 2012

നിറങ്ങളില്‍
വെളുപ്പിന് ​എന്താണ് സ്ഥാനം?
കണ്ണീരിന്റെ നിറമെന്ത്
ഒന്ന് പറഞ്ഞ് തരാമോ?

सोमवार, 23 जुलाई 2012

ക്യാപ്റ്റൻ ലക്ഷ്മി വിടവാങ്ങി.......


ക്യാപ്റ്റൻ ലക്ഷ്മി

      സ്വാതന്ത്ര്യ സമര സേനാനിയും ഇന്ത്യന്‍ നാഷണല്‍ ആര്‍മിയുടെ പ്രവര്‍ത്തകയുമായിരുന്നു ക്യാപ്റ്റന്‍ ലക്ഷ്മി (1914 ഒക്റ്റോബര്‍ 24 - 2012 ജൂലൈ 23). ഇന്ത്യന്‍ നാഷണല്‍ ആര്‍മിയിലെ ഝാന്‍സി റാണിയുടെ പേരിലുള്ള സൈന്യഗണത്തിലെ കേണലായി സേവനമനുഷ്ഠിച്ചു. സുഭാഷ് ചന്ദ്ര ബോസിന്റെ 'ആസാദ് ഹിന്ദ്' ഗവർമെന്റിൽ വനിതാക്ഷേമ വകുപ്പ് മന്ത്രിയായി പ്രവർത്തിച്ചിട്ടുണ്ട്. യഥാർത്ഥ നാമം ഡോ. ലക്ഷ്മി സൈഗാള്‍

ഇനി നമുക്ക് കുറച്ച് നടക്കാം
നാല്‍കവലകള്‍ താണ്ടി
ഇരുണ്ട ഇടനാഴിയിലൂടെ...
നിനക്ക് പേടിയുണ്ട്.
മനസിലാക്കുന്നു.
ഫ്ലൂറസന്റ് ബള്‍ബുകള്‍ക്ക് കീഴിലും നിനക്ക് പേടിയായിരുന്നു.


रविवार, 22 जुलाई 2012

നിറങ്ങള്‍....
നിറമല്ലാതാകുമ്പോള്‍...
ശൂന്യതയുടെ
താളത്തിന്,
തരഗ്കത്തിന്,
മോഹിച്ച് പോകുന്ന നീര്‍കുമിളയ്യായ്...
കാലം കൈയ്യ് കുമ്പിളില്‍.............

शनिवार, 14 जुलाई 2012

"चिड़िया" पर कुछ बिखरे विचार

           दोस्तो, दसवीं कक्षा की पहली इकाई की कविता चिड़िया पर ज़रा ध्यान दें। हालाकि यह कविता अतिरिक्त वाचन केलिए है पर लगता है, इसे और भी गंभीरता से लेने की ज़रूरत है। इस पोस्ट के पीछे का उद्देश्य भी वही है।  
            कविता, बौद्धिक तल पर कोई आघात न पहूँचाते हुए पाठकों से सीधा संवाद करती है। आशय या भाव को समझने में कठिनाई नहीं महसूस होते हैं। कविता में प्रयुक्त शब्दों में कोई निगूठ अर्थ की गुजाइश हो, ऐसा भी नहीं प्रतीत होता। इकाई की समस्या की चर्चा में कविता की भागीदारी नगण्य है।
          लगता है अब, इकाई से बाहर निकल कर कविता पर विचार-विमर्श करना पड़ेगा। मिश्र जी की चिड़िया केवल एक आहत पक्षी नहीं लगता, वह और भी कुछ कहने की कोशिश करती है। कविता को बारीकी से देखें। चिड़िया,घोंसला,जली हुई ड़ाली और आदमी - कविता के इन मूल शब्दों का विश्लेषण करें और इनके बीच का संबंध ढूँढें। यहाँ हमने युद्ध,दंगा-फसाद,प्राकृतिक आपदाएं,आतंकवाद आदि से अपने सबकुछ छोड़ कर पलायन करनेवाले साधारण जन की नज़रिए से चिड़िया को देखने की कोशिश की है। आशा है आप कविता को एकाधिक परिप्रेक्ष्य में देखें,विश्लेषण करें। और षेयर भी करें।

"काँच" पर सब का स्वगत.....